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एक उम्मीद

एक उम्मीद




वक़्त  पहले   का   सा फिर  से लाया  जाये
इन्सां की  रगों   का पानी  खून बनाया जाये

जीने नहीं देता फ़र्क़ आदमी का आदमी को
चलो आओ अब इस फर्क को मिटाया जाये

 लड़े  अब  और कहीं  हिन्दू  से मुसलमाँ
इंसानियत का सबक लोगो को पढ़ाया जाये

कहीं ज़र , ज़मी , कहीं ताक़त, कहीं मज़हब
इनकी  लड़ाई  को अब और न बढ़ाया जाये

आते  हैं  हम   दुनिया  में   इंसान  बन  कर
इंसान  बन  कर  ही  दुनिया से  जाया जाये

लगी   है  जो  आग  नफरत  कि  दिलों  में
अब्रे  शफ़क़त से उस आग को बुझाया जाये

आओ  खुद के एक ऐसे घर कि तामीर करें
इंसा होने के नाम पे सर जहाँ झुकाया जाये

प्यार हो,  इंसानियत हो,  बस नफरत न हो
आओ  मिल के ऐसा एक जहाँ बसाया जाये

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