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तन्हाई


तन्हाई





तन्हाई   को   हम   यूँ   गुजारा   करते   हैं
लिख   के  तेरा   नाम   संवारा   करते    हैं

तू   हो       हो   चाहे   मेरे    पास   मगर
हर  शै  में  हम  तुझको   निहारा  करते  हैं

तेरी उल्फत की  खुमारी  है  इस  कदर  छाई
दिन  को भी  हम  तो   रात  पुकारा  करते  हैं

अब तो दिल ही है अपना न जान   ही  अपनी
सब   कुछ  तो   हम  तुझपे   वारा  करते   हैं

गोशा-ए-दिल से   उठती  है   सदा   अशफ़ाक़
दिल  तो  तक़दीर  वाले   ही   हारा   करते   हैं

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