नहीं लिख सकता मैं हर बात पर कविता कुछ बातों पर मुझे झुंझलाना आता है कुछ पर गुस्सा कुछ पर मैं रो पड़ता हूँ और कुछ पर चुप ही रह जाना आता है कु...Read More
तुम कहो तो पत्नी से मैं प्रेयसी बन जाऊँगी अध खुले अधरों से मंद मंद मुस्काऊँगी माँग मध्य सिंदूर लगा कर , सिन्दूरी गोधूलि बन जाऊँगी आंजन लगे ...Read More