छुअन
किसी की नज़र ने
शायद मेरी रूह को छुआ है
यूँ लगता है मेरी हर
सोच पे
उसी का पहरा है
रेत के वर्क पे कभी चला दी जो यूँ
ही उँगलियाँ
गौर से देखा
तो लगा शायद उसी का चेहरा है
ज़िंदगी ने इस इश्क़ की संगत में कई रंग
हैं दिखाये
कभी पुरफज़ा, कभी खिजा, कभी सब्ज़ा कभी सेहरा है
ऐ वक़्त के पंख थक गये हो तो थोड़ा आराम कर लो
किसी के इंतज़ार
में मेरा तो हर पल ठहरा ठहरा है
कभी मेरी सोचों
में उतर कर भी तो देखो ज़रा
ये दरिया कितना वसी
है ये दरिया कितना गहरा है
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