Header Ads

छुअन



छुअन






किसी  की   नज़र  ने शायद मेरी रूह को  छुआ है
यूँ   लगता है  मेरी  हर  सोच पे  उसी  का  पहरा है

रेत   के वर्क पे   कभी  चला दी  जो  यूँ ही उँगलियाँ
गौर   से  देखा  तो  लगा  शायद  उसी  का चेहरा है

ज़िंदगी ने इस  इश्क़  की संगत में  कई  रंग हैं दिखाये
कभी पुरफज़ा, कभी खिजा, कभी सब्ज़ा कभी सेहरा है

ऐ वक़्त के पंख थक गये हो तो थोड़ा आराम कर लो
किसी   के इंतज़ार में मेरा तो हर पल ठहरा ठहरा है

कभी    मेरी   सोचों  में उतर कर भी तो देखो  ज़रा
ये   दरिया कितना वसी है ये दरिया कितना गहरा है

No comments