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फरेब



फरेब






शिकारे   फरेब    हूँ   तेरा,   मेरा  नाम  याद  रखना
दिया   है   मेरी   वफ़ा   को जो इलज़ाम याद रखना

खुद   जो  लगाना कभी  दिल    मेरे   जाने  के बाद
क्या  हुआ  है   इस   राह पे मेरा अंजाम याद रखना

बस  के कोई दिल  में,   दिल को ही चाक कर जायेगा
आयेगा   इश्क़   में   ऐसा   भी   मक़ाम   याद  रखना

वक़्ते    विदा    है   तेरी  महफ़िल  से  तेरी  दुनिया से
आखिरी  है   तेरे   दर  पे   मेरी   शाम   याद   रखना

आबाद  कहूँ   या  बर्बाद,  जो  भी  है  तेरे  दम  से  है
एक  उम्र  की वफ़ा  का मिला है ये इनाम याद रखना

वक़्त   के   साथ  हर बात का बिसर जाना लाज़मी है
फरेबो  वफ़ा  का  मगर  ये किस्सा तमाम याद रखना

दश्तो   सेहरा     में   तनहा   भटकना   अशफ़ाक़
इश्क़    के    मारों   का   है  यही   काम याद रखना

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