खुद फरामोश
आप जब यूँ ख्यालों में आते न थे
बेखुदी में हम यूँ मुस्कराते न थे
आपकी क़ुर्बत ने बनाया
है बेगाना
पहले तो लोगो से नज़रे चुराते न थे
वो तो आतिशे
इश्क़ के जलाये हुए हैं
वरना यूँ आग
से दामन बचाते न थे
एक मुस्कराहट
पे तेरी उम्मीद कर गये
आंधी में आशियाना वरना बनाते न थे
तेरा ही करम
है
हुस्ने मुजस्सम
वरना
अशफ़ाक़ खुद फरामोश कभी कहलाते न थे
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