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निगाहें नाज़



निगाहें नाज़



निगाहे     नाज़     अपना    काम    कर    गयी
ज़माने   भर   में     मुझे   बदनाम   कर    गयी

जीते      चले      जाना    तेरी    ही   आरज़ू  में
तेरी बाँ हो  में   मौत   मेरा  अंजाम   कर   गयी

एक   बिजली  जो  तेरे तबस्सुम  में  पिन्हा   थी
मेरे  दिल   पे  गिरी और काम तमाम कर गयी

वो     निगाहे   उठी   जो   तो  सुबह    ले  कर
वो    निगाहे   जो   झुकी   तो शाम  कर   गयी

एहले   होश    नहीं    खुद  फरामोश सही पर
क्या करे वो खिरामे जीस्त  में कयाम कर गयी

सारी   खुशियां   सारा   चैन    सुकून  ले गयी
बस इज़्तराब  ही अशफ़ाक़ के नाम कर गयी

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