शिफ़ा न मिली दर्द बढ़ता गया मुझपे बुखार-ए- इश्क़ चढ़ता गया उनके आने से आया जो चेहरे पे रंग उनके जाने पे वो रंग उ ड़ता गया उनकी क़ुर्बत ने दिखाया असर यूँ के पास का हर और शख्स बिछड़ता गया उनके लम्स पे हुआ वो हाल मेरा जो संभालता तो क्या बिगड़ता गया क्या होगा अंजामे उल्फत अशफ़ाक़ हाय मैं ये किस दर्द से जुड़ता गया
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