ढोल का पोल
बन्द पड़े हैं सब मदिरालय
खुली है फैक्टरियां मदिरा की
शराब बंदी और नशा मुक्ति
सब है बस नारों का खेल
बनी थी श्रृंखला मानव की
कोई न हाथ छूटने न पाए
भला हो इस शराब बंदी का
एक नया रोजगार सृजन को
मुठ्ठी गर्म और घर पर मदिरा
ये है रोजगार आज एक नया
मजदूर,ड्राइवर या अधिकारी
पुलिस,शिक्षक या विद्यार्थी
मस्त सब हैं घूम रहें
घर में बैठे झूम रहें
पड़ोस के हुक्मरानों से
लद कर आती भरी गाड़ी
चेक पोस्ट पर निगरानी से
बच कर निकल लेते है लोग
जो यदि न बच पाएं
लायी जाती थानों में
थानों की शोभा बढ़ती
तृप्त होते सब अधिकारी
खोज होने को जब आये
दोष सब चूहे पर जाय
ये चूहा है अति दुश्मन
देश और किसानों का
दिन में करता अन्न बर्बाद
करता रात में मदिरापान
डकार गए सारे मदिरा
ये सारे चूहों की फौज
चूहा तो हरफन मौला
निडर बन घूमता थाने
अब तक न कानून बना ऐसा
जो सजा दिला दे मूषकों को।।
Written by Usha Kumari
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