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कविता




नहीं लिख सकता मैं
हर बात पर कविता

कुछ बातों पर मुझे
झुंझलाना आता है
कुछ पर गुस्सा
कुछ पर मैं रो पड़ता हूँ
और कुछ पर
चुप ही रह जाना आता है

कुछ बातों पर मैं ध्यान नहीं देता
कुछ को जज्ब कर जाता हूँ
कुछ बातों को लौटाता हूँ
दो-तीन गुना करके
तो कुछ को लेकर
बस सो जाता हूँ

कुछ बातों से खेलता हूँ
कुछ से लड़ जाता हूँ
कुछ से प्यार हो जाता है
और कुछ को
अपनी आत्मा पर मलता हूँ

इस पर भी कुछ बच जाए
अंतस को मथ जाए
तब फूटती है कविता
नहीं लिख सकता मैं
हर बात पर कविता।

Written by Alok Kumar Mishra


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