तुम कहो तो
अध खुले अधरों से मंद मंद मुस्काऊँगी
माँग मध्य सिंदूर लगा कर ,
सिन्दूरी गोधूलि बन जाऊँगी
आंजन लगे चंचल नैनों में
प्रियवर तुम्हें बसाऊँगी
पायल की ठुमरी के संग कंगन की तान सुनाऊँगी
हाँथो में प्रियवर मैं ,मेंहदी तेरे नाम की रचाऊँगी
लाल चुनर में प्रियवर तुम्हें
चाँद सा मुखङा दिखलाऊँगी
कटिबंध में गजरे की खुशबू
जीवन उपवन कर जाऊँगी
हया लाज की बांध तोङ कर
सागर सी बह जाऊँगी
तप्त मन पर मेघ बन मै ,प्रेम बर्षा कर जाऊँगी
रूपवती मैं रती स्वरूपा, तुम पर वारी जाऊँगी
प्रेम सुधा ,अनुरागी बन ,सोमकलश छलकाऊँगी
अनल कामना तेरी मैं संतृप्त कर जाऊँगी
मन का मन से गठबंधन है
परिणय सूत्र के धागों से
जीवन पथ पर हमराही बन साथ निभाती जाऊँगी
हृदय श्रुति वाणी की स्वर बन
जीवन सुरमय कर जाऊँगी
अपने अरमानों की उङान में ,तेरे पंख लगाऊँगी
सच कहती हूँ...
धन्य हो गई, जो साथ तुम्हारा पाई प्रियवर
तुम कहो तो मैं पत्नी से प्रियेसी बन जाऊँगी
Written by Bandna Pandey
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