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ज़ज्बात

 



आँखें नम हैं ,लब सिलें हैं
जज़्बातों के शब्द मुखरित हैं
अश्कों के पन्नों पर हमने
अपने कुछ एहसास लिखें हैं

खुदगर्ज इस दुनिया की हमने
थोङे से हीं राज लिखें हैं
गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलते लोगों के
थोङे चेहरों के भाव लिखें हैं

टेढे मेढे जीवन की राहों में
मिलें हमें कितने हमराही
कुछ सच्चे कुछ झूठों की
हमनें थोङे से किस्से लिखें हैं

चालाकियों के हाँथों बिके मासूमियत का
हमने थोङे से अपनी बर्बादी की हालात लिखें हैं
यूँ तो हिसाब की कच्चे हैं हम
फिर भी लोगों से मिले शिले का
हमने थोङे जोङ घटाव लिखें हैं

मुश्किलें चाहें आए जितनी
हम कभी न घवराएगें
उस दौर में भी हँसने की
हमने थोङे हुनर लिखें हैं

घेर ले चाहे घूप अंधेरा
हम कभी भी न हारेगें
छल कपट के तिमिर से निकलने का
हमने थोङे जुगाङ लिखें हैं

हम न रूकगे ,हम न झुकेगे
कर्म पथ पर बढते जाएगें
एसे हौसलों को हमने
थोङे से सलाम लिखें हैं

Written by Bandna Pandey



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