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चार चौराहे

 


मेरे शहर के चार चौराहे
गुलजार रहते चिल्ल पों से

सड़क पार करने को
करना होता रोज इंतजार

आज ज्यों ही कदम बढ़ाई
बज उठी सायरन

मंत्री जी के काफिले का
ठिठक गई मैं

काफिले के गुजरे जाने तक
उन्हें जाना है जरूरी

क्योंकि कुछ नहीं है उन्हें करना
जब पहुंची दूसरे चौराहे पर

बाएं, दाएं,फिर बाएं देखी
कदम ठिठक गए फिर से

सायरन की आवाज से
गाड़ी थी जज साहब की

तेजी से गुजरते देखते रही
उन्हें जरूरी है जल्दी जाना

क्योंकि नहीं सुनाना है फैसला
आगे बढ़ी तीसरे चौराहे पर

पार करने को ज्यों कदम बढ़ाई
पुलिस प्रशासन की गाड़ी आई

हॉर्न, सायरन की मिली-जुली
दिल दहलाती इसकी आवाज

इनको भी तो है पहुंचना
घटना घट जाने के बाद

जब पहुंची चौथे चौराहे पर
पर क्या मजाल कि पैर बढाऊँ

टन-टन,टन-टन दमकल की
उसका तो सात खून भी माफ

उसको भी है जल्दी जाना
नहीं है उसको आग बुझाना

मेरा क्या?
मुझे तो था स्कूल जाना

जहां देश के नौनिहाल को
पाठ पढ़ाती मानवता का

देती ज्ञान अडिग रहने का
मुश्किलों में भी डटे रहने का

देश दुनियां की जानकारी भी
उन्हें देनी है जरूरी

बच्चे विद्यालय के बाहर
इंतजार करते खुलने का

गांव वाले भी हुए एकजुट
कुपित हुए से खड़े थे

घूरती आंखे तीखी आवाज
क्या मैडम जी!!

ये समय है आने का?

Written by Usha Kumari

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