जादू.....
तू डगर डगर तू सिम्त सिम्त
तू चाहर सू
मैं कहीं बाकी नहीं अब
तो
बस तू ही तू
प्यासे की प्यास में तरसते की आस में
तू वफ़ा है
तू हया है तू सब तू आरज़ू
सूरज की तपिश में तू शोलों की
आंच में तू
तू हवा में तू
फ़ज़ा में तू घटा तू खुशबू
उफ़क़ की सुर्ख़ियों में तू फूलों की नर्मियों में तू
तू ही है मंज़िले
मक़सूद और तू ही जुस्तजू
शोख रंगों में तू
बारिश की रिमझिम में तू
अब तो हर सोच पे काबिज़ है तू और तेरा जादू
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