तारीफ
चांदनी में धुली ज़मी देखी, बेकरा आसमान देखा है
हमने चाँद की ओट
में छुपके सारा जहान देखा है
खुशियो को पाया
है तेरे वजूद से
लिपटते हुए
और कलियों
को बनते हुए तेरी मुस्कान देखा है
तेरी
अंगड़ाइयों में बिजलियों ने
पनाह पायी है
तेरी अदाओं पे
हर फर्द को मैंने क़ुरबान देखा है
घटाओं को बाँध रखा है तेरे गेसुओं की
स्याही ने
तेरे इशारे पे
फरिश्तों का भी बहकते ईमान देखा है
हर चीज़ से नवाज़ा है
बनाने वाले ने तुझे हुस्नवाले
मैंने क़यामत को
सिमटते तुझमे मेरी जान देखा है
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