तेरे ख्वाब में
चुपके से किसी रोज़ मैं तेरे ख्वाब में आऊंगा
साथ अपने तुझे अर्श
की मैं सैर कराऊंगा
बादलों के संग जहाँ
हम परबतों को चूमें
आलम-ए-ख्वाब में
तुझे वो
दुनिया दिखाऊंगा
खामोश रात का
दरिया बस बह रहा होगा
चाँद भी धड़कन हमारी सुन रहा होगा
चलते हुए नीली स्याही में रात की
हर शै बनेगी
शाहिद
तेरे मेरे साथ की
धड़कन में बसा है जो संगीत वो सांसों से सुनाऊंगा
चुपके से किसी रोज़
मैं तेरे ख्वाब में आऊंगा
मैं तेरी और तू मेरी पहचान बन जाये
मैं तेरे सीने में धड़कूं
तू मेरी जान बन जाये
तेरे इंतज़ार को मैं
अपनी आँख दे कर
तेरे हाथों
को अपने हाथों में लेकर
मेहँदी मेरे नाम की
तेरे
हाथों में रचाउंगा
चुपके से किसी रोज़ मैं
तेरे ख्वाब में आऊंगा
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