Header Ads

अच्छे दिन

 


तेरा ग़म मनाने के दिन आ गए हैं
कि आँसू बहाने के दिन आ गए हैं

ये मंज़ूर हम को नहीं है मगर जाँ
तेरे खत जलाने के दिन आ गए हैं

जो वादें कभी तुम ने हम से किये थे
वो वादें निभाने के दिन आ गए हैं

धरे अपने सर हम ये इल्ज़ाम कब तक
हक़ीक़त बताने के दिन आ गए हैं

तुम्हीं यार मोनिस भटकते रहो बस
वो देखो फलाने के दिन आ गए हैं
Written by Monis Faraz



No comments