ख्वाब..............
मेरे एक ख्वाब में जब आप आये थे
नींद के आलम में भी हम मुस्कराये थे
तेरे रफ़्त पे देखता कोई तो मेरा चेहरा
कितने हम परेशां थे कितने घबराये थे
तेरे इंतज़ार में भी एक लज़्ज़त है अब जाना
तुझे याद करते हम हर पल में शर्माए थे
खुद फरामोशी की हकीकत कोई मुझसे पूछे
बड़ी मुश्किल से कल अपना नाम याद कर पाये थे
रोज़े रोशन में यूँ तो पिघला देती हमे धूप
शुक्र था मेरे साथ तेरी यादों के साये थे
हर सांस पे लगता है के तेरा नाम लिया हो
तेरी उम्मीद ही थी के हर आहट
पे भरमाये थे
मबहूत गए मुझको कलमा पढ़ाने वाले
खुदरफ़्तगी में हम तो बस तेरी ही रट
लगाये थे
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